Sunday, June 18, 2017

एक वैश्या और वो पत्रकार



उन दिनों मै ट्रेनी रिपोर्टर थी। चंडीगढ़ में। दैनिक भास्कर अख़बार की डमी निकल रही थी। हम डमी के लिए भी जी जान से काम कर रहे थे।  जर्नलिज़्म करने के बाद पहली नौकरी थी, शायद इसलिए।  

प्रॉस्टीट्यूट्स पर लिखना मेरा पसंदीदा विषय रहा है। हालांकि चंडीगढ़ ऐसा शहर है जहां कोई घोषित रेड लाइट एरिया नहीं है, हां हाई प्रोफाइल धंधा होता है। लेकिन एक कॉलोनी है जिसका एक इलाका रेड लाइट एरिया कहा जाता था। वहां छोटे तबके के लोग जाते थे या लोग वहां की लड़कियों को अपने साथ मौज करने बाहर ले जाते थे।

एक स्थानीय भाजपा नेता के जरिये मैं उस कॉलोनी में गई। संकरी गलियों में बनी झुग्गियों और एक-एक कमरे के मकान से  से होती हुई वह नेता मुझे एक आंटी के घर पर ले गया। आंटी अपनी अदा में पलंग पर शाही अंदाज़ में बैठी थी। उसे नमस्ते करने के बाद जब मैंने बगल में देखा तो आंखे ही खुली रह गईं।

बगल में अमर उजाला अख़बार का एक पत्रकार बैठा था। मुझे देखकर काफी घबरा गया। आंटी को नमस्ते करके फौरन उठकर चला गया। आंटी से यहां-वहां की बाते हुईं। 

उन्होंने कुछ लड़कियों को बुला लिया। लड़कियों ने बताया कि पुलिस कैसे परेशान करती है। हफ्ता वसूलती है। ग्राहकों की बद्तमीज़ीयों पर बात हो रही थी। वो लड़की बता रही थी कि ग्राहक यहां से हमें शिमला ले जाते हैं। बोल कर जाते हैं कि तीन लोग हैं वहां जाकर चार-पांच हो जाते हैं।

फिर कहने लगी कि चलिए ग्राहक तो छोड़िए, यह जो आया था न आपका पत्रकार आकर फ्री में करके चला जाता है।  उस दिन के बाद वो पत्रकार जब भी मुझे मिला न उसने कभी मुझसे बात की न मैंने उससे। 

एक वैश्या और वो पत्रकार

उन दिनों मै ट्रेनी रिपोर्टर थी। चंडीगढ़ में। दैनिक भास्कर अख़बार की डमी निकल रही थी। हम डमी के लिए भी जी जान से काम कर रहे थे।  जर्न...